क्या कोई देश अपने पुरखों को ऐसे याद करता है?

क्या कोई देश अपने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को ऐसे याद करता है? जवाहरलाल नेहरु सिर्फ देश के पहले प्रधानमंत्री नहीं थे. वो गांधीजी के बाद आज़ादी की लड़ाई के सबसे बड़े महानायक भी थे. यह बात सिर्फ नेहरूवादी नहीं कहते बल्कि हर कोई कहता है जिसे आज़ादी की लड़ाई की थोड़ी-सी भी समझ है. अपने तमाम अनुयायियों में से गांधीजी ने नेहरूजी को अपना वारिस चुना. सरदार पटेल ने गांधीजी की हत्या के बाद बार-बार नेहरुजी को अपना नेता कहा जबकि सरदार पटेल नेहरुजी से उम्र और अनुभव में काफी बड़े थे. क्रांतिकारी राष्ट्रवादी जैसे चन्द्रशेखर आज़ाद और भगत सिंह हमेशा नेहरूजी की बहुत इज्ज़त करते थे. आज़ादी के पहले के समाजवादी नेता नेहरुजी की सलाह के बगैर कोई काम नहीं करते थे. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के साथ नेहरूजी की जोड़ी युवा स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के दिल की धड़कन थी. 


(नेहरूजी की पुण्यतिथि पर राष्ट्रीय आन्दोलन फ्रंट द्वारा वितरित पर्चे की प्रति )

नेहरूजी ने अपनी जिंदगी का तकरीबन एक दशक अंग्रेजों की जेलों में बिताया, अंग्रेजों की लाठियाँ खाईं, मोतीलाल नेहरु के समय का सारा वैभव त्याग दिया और इलाहबाद का आनंद भवन कांग्रेस को दान में दे दिया. आज़ादी के बाद उन्होंने पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया और विश्व नेता के रूप में देखे जाने लगे. आज का भारत जो कुछ भी है उसकी बुनियाद में जवाहरलाल नेहरु हैं. उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को ऐसा आधार दिया जिस पर आज भारत दुनिया की सबसे समृद्ध अर्थव्यवस्थाओं में खड़ा हो सका है. 

आप चाहें तो उनकी कुछ नीतियों (जैसे कश्मीर आदि) की आराम से आलोचना कर सकते हैं. लेकिन उनके व्यक्तित्व के बारे में इन्टरनेट पर असम्मानजनक बातें फ़ैलाना कहाँ तक जायज है. उनकी तस्वीरों के साथ भद्दे तरीके से छेड़छाड़ करके उन्हें अश्लील, कामुक और कामांध दिखाने वाले लोग कौन हैं? क्या ऐसे लोगों का पता लगाना और उन्हें रोकना सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं है? ख़ास तौर पर तब जब हाल ही में कर्नाटक पुलिस ने एक व्यक्ति को वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी की फोटोशॉप की हुयी फोटो अपने फेसबुक पेज पर लगाने के जुर्म में जेल भेज दिया हो. अगर वर्तमान प्रधानमन्त्री की बेइज्ज़ती पर पुलिस कार्यवाही की जा सकती है तो पूर्व प्रधानमंत्री की बेइज्ज़ती पर क्यों नहीं? वह भी तब जब वह प्रधानमंत्री अपना बचाव करने के लिए जीवित नहीं है. नीचे एक फोटो के माध्यम से (जिसमें पहली नकली है और दूसरी असली) हम आपसे अपील करते हैं कि सरकार चाहे कोई कार्यवाही करे या न करे आप इस तरह के दुष्प्रचार से दूर रहें, उसे नज़रंदाज़ करें और हो सके तो उसका विरोध करें. क्योंकि जो लोग अपने पुरखों को इज्ज़त नहीं दे सकते, आने वाली पीढ़ियों से बेइज्ज़ती सहने के लिए तैयार रहें. क्योंकि हम जो सलूक अपने पुरखों के साथ कर रहे हैं, आने वाली पीढियाँ यही सीखकर हमारे साथ सलूक करेंगी.

राष्ट्रीय आन्दोलन फ्रंट 
(आज़ादी की लड़ाई के मूल्यों के प्रचार-प्रसार को समर्पित संगठन)
7042220925, 9990645060, 9868325191

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